
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भारी बारिश के बाद यूनिट नंबर तीन में पाइप हटाने के दौरान देवज्योति करंट की चपेट में आ गए। उन्हें बचाने की कोशिश में वरिष्ठ सुपरवाइजर राकेश सिंह भी करंट से प्रभावित हो गए। दोनों को तुरंत चिकित्सा केंद्र ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
घटना के बाद मृतकों के परिजनों और कार्यकर्ताओं ने फैक्ट्री के बाहर प्रदर्शन किया। तृणमूल श्रमिक संगठन के नेता भी मौके पर पहुंचे और कारखाने अधिकारियों से मुआवजे की मांग की। कारखाने प्रबंधन ने परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा और अंतिम संस्कार के लिए 50 हजार रुपये देने की घोषणा की, साथ ही ठेका कंपनी के बीमा योजना के तहत अतिरिक्त सहायता का वादा किया।
कारखाने के सीईओ किशन बालाजी ने घटना पर शोक व्यक्त किया और कहा कि बारिश के दौरान शॉर्ट सर्किट हुआ, जिससे यह दुर्घटना हुई। उन्होंने कहा कि देवज्योति अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे, इसलिए नौकरी की मांग नहीं की गई है।
पार्षद रणजीत सिंह ने कारखाने प्रबंधन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि बारिश के दौरान रात में लोडिंग-अनलोडिंग का काम करवाना असुरक्षित था। उन्होंने ठेका श्रमिकों की सुरक्षा व्यवस्था पर चिंता जताते हुए 20 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी, जिसमें से 10 लाख रुपये मुआवजे और ढाई लाख रुपये बीमा के तहत देने पर सहमति बनी।